अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥ जम कुबेर दिकपाल जहां ते। कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥ मंगल भवन अमंगलहारी द्रवहु सो दशरथ अजिर विहारी। हनुमान यात्नमास्ताया दु:ख क्षय करोभाव क्या चलते-फिरते हनुमान चालीसा पढ़ सकते हैं? फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा हनुमत वचन जुग जुग सांचा https://www.instagram.com/reel/DFWTy0gvMKk/
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